सोरायसिस,What Causes Psoriasis,Psoriasis Treatment in Hindi - best tricks forever

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Tuesday, 31 January 2017

सोरायसिस,What Causes Psoriasis,Psoriasis Treatment in Hindi


सोरायसिस-What is Psoriasis.What Causes Psoriasis,Scalp Psoriasis Treatment,Plaque Psoriasis,Home remedies for psoriasis,Symptoms of Psoriasis,Home remedies for psoriasis,  सोरायसिस त्वचा की ऊपरी सतह का एक चर्म रोग है ये वंशानुगत है लेकिन ये और भी कई कारणों से भी हो सकता है।  आनु्‌वंशिकता के अलावा इसके लिए पर्यावरण भी एक बड़ा कारण माना जाता है। यह असाध्य बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है। कई बार इलाज के बाद इसे ठीक हुआ समझ लिया जाता है जबकि यह रह-रहकर सिर उठा लेता है। शीत ऋतु में यह बीमारी प्रमुखता से प्रकट होती है। 
 

सोरायसिस एक त्वचा रोग है जिसमें सफेद या सिल्वर खुरदरे और मोटे चकते उभर आते हैं। त्वचा में सेल्स की तादाद बढने लगती है।चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडियां उत्पन्न हो जाती हैं। ये पपड़ियाँ सफ़ेद चमकीली हो सकती हैं। इस रोग के भयानक रुप में पूरा शरीर मोटी लाल रंग की पपडीदार चमडी से ढक जाता है। जिसे यूनानी चिकित्सा पद्धति में \"दाउस सदफ\" कहते हैं। वात और पित्त की गड़बड़ी से होने वाला यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। यह रोग छूने से नहीं फैलता। खुश्की की वजह से यह रोग गर्मी की तुलना में सर्दी के दिनों में ज्यादा होता है। 
 
  • सोरायसिस रोग होने का कारण,Causes Of Psoriasis,What Causes Psoriasis , 
सोरयासिस एक प्रकार का चर्म रोग है जिसम त्वचा में cells की तादाद बढने लगती है।चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडीयां उत्पन हो जाती हैं। ये पपडीया ं सफेद चमकीली हो सकती है।इस रोग के भयानक रूप में पूरा शारीर मोट लाल रंग का पपडीदार चमडी से ढक जाता है।यह रोग अधिकतर के कोहनी,घुटना और खोपडी पर होता है।अच्छी बात ये है की यह रोग छू तहा याने संक्रमक नही है। रोगी के संपर्क से अन्य लोगो को कोई खतरा नहीं है।

 
सोरायसिस चमड़ी की एक ऐसी बीमारी है जिसके ऊपर मोटी परत जम जाती है। दरअसल चमड़ी की सतही परत का अधिक बनना ही सोरायसिस है। त्वचा पर भारी सोरायसिस की बीमारी सामान्यतः हमारी त्वचा पर लाल रंग की सतह के रूप में उभरकर आती है और स्केल्प (सिर के बालों के पीछे) हाथ-पाँव अथवा हाथ की हथेलियों, पाँव के तलवों, कोहनी, घुटनों और पीठ पर अधिक होती है। 1-2 प्रतिशत जनता में यह रोग पाया जाता है।
  • अंत स्रावी ग्रन्थियों में कोई रोग होने के कारण सोरायसिस रोग हो सकता है
  • पाचन-संस्थान में कोई खराबी आने के कारण भी यह रोग हो सकता है
  • बहुत अधिक संवेदनशीलता तथा स्नायु-दुर्बलता होने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।
  • खान-पान के गलत तरीकों तथा असन्तुलित भोजन और दूषित भोजन का सेवन करने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।
  • असंयमित जीवन जीने, जीवन की विफलताएं, परेशानी, चिंता तथा एलर्जी के कारण भी यह रोग हो सकता है।
लक्षण, P soriasis Symptoms,  
जब किसी व्यक्ति को सोरायसिस हो जाता है तो उसके शरीर के किसी भाग पर गहरे लाल या भूरे रंग के दाने निकल आते है। कभी-कभी तो इसके दाने केवल पिन के बराबर होते हैं। ये दाने अधिकतर कोहनी, पिंडली, कमर, कान, घुटने के पिछले भाग एवं खोपड़ी पर होते हैं। कभी-कभी यह रोग नाम मात्र का होता है और कभी-कभी इस रोग का प्रभाव पूरे शरीर पर होता है। कई बार तो रोगी व्यक्ति को इस रोग के होने का अनुमान भी नहीं होता है। 
शरीर के जिस भाग में इस रोग का दाना निकलता है उस भाग में खुजली होती है और व्यक्ति को बहुत अधिक परेशान भी करती है। खुजली के कारण सोरायसिस में वृद्धि भी बहुत तेज होती है। कई बार खुजली नहीं भी होती है। जब इस रोग का पता रोगी व्यक्ति को चलता है तो रोगी को चिंता तथा डिप्रेशन भी हो जाता है और मानसिक कारणों से इसकी खुजली और भी तेज हो जाती है। सोरायसिस रोग के हो जाने के कारण और भी रोग हो सकते हैं जैसे- जुकाम, नजला, पाचन-संस्थान के रोग, टान्सिल आदि। यदि यह रोग 5-7 वर्ष पुराना हो जाए तो संधिवात का रोग हो सकता है।
रोग से ग्रसित (आक्रांत) स्थान की त्वचा चमकविहीन, रुखी-सूखी, फटी हुई और मोटी दिखाई देती है तथा वहाँ खुजली भी चलती है। सोरायसिस के क्रॉनिक और गंभीर होने पर 5 से 40 प्रतिशत रोगियों में जोड़ों का दर्द और सूजन जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं एवं कुछ रोगियों के नाखून भी प्रभावित हो जाते हैं और उन पर रोग के चिह्न (पीटिंग) दिखाई देते हैं।  
सोरायसिस होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक के बताए अनुसार निर्देशों का पालन करते हुए पर्याप्त उपचार कराएँ ताकि रोग नियंत्रण में रहे। थ्रोट इंफेक्शन से बचें और तनाव रहित रहें, क्योंकि थ्रोट इंफेक्शन और स्ट्रेस सीधे-सीधे सोरायसिस को प्रभावित कर रोग के लक्षणों में वृद्धि करता है। त्वचा को अधिक खुश्क होने से भी बचाएँ ताकि खुजली उत्पन्न न हो
सोरायसिस में क्या खाना चाहिए,What Food of Psoriasis 
  • व्यक्ति को जो आहार अच्छा लगे, वही उसके लिए उत्तम आहार है क्योंकि छाल रोग से पीड़ित व्यक्ति खान-पान की आदतों से उसी प्रकार लाभान्वित होता है जैसे हम सभी होते हैं। कई लोगों ने यह कहा है कि कुछ खाद्य पदार्थों से उनकी त्वचा में निखार आया है या त्वचा बेरंग हो गई है।
  • सोरायसिस रोग से पीड़ित रोगी को दूध या उससे निर्मित खाद्य पदार्थ, मांस, अंडा, चाय, काफी, शराब, कोला, चीनी, मैदा, तली भुनी चीजें, खट्टे पदार्थ, डिब्बा बंद पदार्थ, मूली तथा प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • जौ, बाजरा तथा ज्वार की रोटी इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए बहुत अधिक लाभदायक है।
  • नारियल, तिल तथा सोयाबीन को पीसकर दूध में मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • आंवले का प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को 1 सप्ताह तक फलों का रस (गाजर, खीरा, चुकन्दर, सफेद पेठा, पत्तागोभी, लौकी, अंगूर आदि फलों का रस) पीना चाहिए। इसके बाद कुछ सप्ताह तक रोगी व्यक्ति को बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए जैसे- फल, सलाद, अंकुरित दाल आदि और इसके बाद संतुलित भोजन करना चाहिए।
उपचार-Scalp Psoriasis Treatment,Plaque Psoriasis,Home remedies for psoriasis, 
सोरायसिस के उपचार में बाह्य प्रयोग के लिए एंटिसोरियेटिक क्रीम/ लोशन/ ऑइंटमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रोग की तीव्रता न होने पर साधारणतः मॉइस्चराइजिंग क्रीम इत्यादि से ही रोग नियंत्रण में रहता है। लेकिन जब बाह्योपचार से लाभ न हो तो मुँह से ली जाने वाली एंटीसोरिक और सिमटोमेटिक औषधियों का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। आजकल अल्ट्रावायलेट लाइट से उपचार की विधि भी अत्यधिक उपयोगी और लाभदायक हो रही है।
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  • यह रोग अधिकतर केहुनी,घुटनों और खोपडी पर होता है। अच्छी बात ये कि यह रोग संक्रामक किस्म का नहीं है। रोगी के संपर्क से अन्य लोगों को कोई खतरा नहीं है। 
  • बादाम 10 नग का पावडर बनाले। इसे पानी में उबालें। यह दवा सोरियासिस रोग की जगह पर लगावें। रात भर लगी रहने के बाद सुबह मे पानी से धो डालें। यह उपचार अच्छे परिणाम प्रदर्शित करता है। 
  • एक चम्मच चंदन का पावडर लें। इसे आधा लिटर में पानी मे उबालें। तीसरा हिस्सा रहने पर उतार लें। अब इसमें थोडा गुलाब जल और शक्कर मिला दें। यह दवा दिन में तीन बार पियें। 
  • पत्ता गोभी सोरियासिस में अच्छा प्रभाव दिखाता है। उपर का पत्ता लें। इसे पानी से धोलें।हथेली से दबाकर सपाट कर लें। इसे थोडा सा गरम करके प्रभावित हिस्से पर रखकर उपर सूती कपडा लपेट दें। यह उपचार लम्बे समय तक दिन में दो बार करने से जबर्दस्त फ़ायदा होता है। 
  • पत्ता गोभी का सूप भी सुबह शाम पीने से सोरियासिस में लाभ होते देखा गया है। प्रयोग करने योग्य है। 
  • नींबू के रस में थोडा पानी मिलाकर रोग स्थल पर लगाने से सुकून मिलता है। 
  • नींबू का रस तीन घंटे के अंतर से दिन में 4-5 बार पीते रहने से छाल रोग ठीक होने लगता है। 
  • सर्दी के दिनों में 3 लीटर और गर्मी के मौसम मे 6 से 7 लीटर पानी पीने की आदत बनावें। इससे विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर निकलेंगे। 
  • सोरियासिस चिकित्सा का एक नियम यह है कि रोगी को 10 से 15 दिन तक सिर्फ़ फ़लाहार पर रखना चाहिये। उसके बाद दूध और फ़लों का रस चालू करना चाहिये। 
  • रोगी के कब्ज निवारण के लिये गुन गुने पानी का एनीमा देना चाहिये। इससे रोग की तीव्रता घट जाती है। 
Natural Remedies for Psoriasis,Psoriasis Medication, 
  • अपरस वाले भाग को नमक मिले पानी से धोना चाहिये फ़िर उस भाग पर जेतुन का तेल लगाना चाहिए। 
  • खाने में नमक वर्जित है। धूम्रपान करना और अधिक शराब पीना विशेष रूप से हानि कारक है। ज्यादा मिर्च मसालेदार चीजें न खाएं 
  • रात में 1 चमच तिल भिंगो कर रखे सुबह खाली पेट पि लिया करे  
  • इस रोग को ठक करने के लिए जीवन शैली में बदलाव करना जरूरी है। सर्दियों में ३ लीटर और गर्मियों में 5 से 6 लीटर पानी पीने की आदत बना ले। इससे वर्जतीय पदार्थ शारीर से बाहर निकलेगे  
  • सोरयासिस चिकित्सा का एक नियम यह है की रोगी को १० से १५ दिन तक सिर्फ फ़लाहार पर रखना चाहिये। उसके बाद दूध और फ़ल का रस चालू करना चाहये। 
  • रोगी के कब्ज़ निवारण के लिये गुन गुने पानी का एनीमा देना चाहिये। इससे रोग की तीव्रता घट जाती है। 
  • अपरस वाले भाग को नमक मले पानी से धोना चाहये फिर उस भाग पर जेतुन का तेल लगाना चाहिए खाने में नमक बिलकुल ही वर्जित है। पीडित भाग को नमक मिले पानी से धोना चाहये। 
  • धुम्रपान करना और अधिक शराब पीना तो विशेष रूप से हानिकारक है। ज्यादा मिर्च मसालेदार चीज़े भी न खाएं। 
रोक थाम- Prevention Of Psoriasis 
  • धूप तीव्रता सहित त्वचा को चोट न पहुंचने दें। धूप में जाना इतना सीमित रखें कि धूप से जलन न होने पाएं।
  • मद्यपान और धूम्रपान न करें।
  • स्थिति को और बिगाड़ने वाली औषधी का सेवन न करें।
  • तनाव पर नियंत्रण रखें।
  • त्वचा का पानी से संपर्क सीमित रखें।
  • फुहारा और स्नान को सीमित करें, तैरना सीमित करें।
  • त्वचा को खरोंचे नहीं।
  • ऐसे कपड़े पहने जो त्वचा के संपर्क में आकर उसे नुकसान न पहुंचाएँ।
  • संक्रमण और अन्य बीमारियाँ हो तो डाक्टर को दिखाएं।
  • ज़्यादा मिर्च मसालेदार चीज़ें न खाएं।
परहेज,Avoided, 
इस पद्धति से इलाज के दौरान मरीज को अचार, बैंगन, आलू और बादी करने वाली चीजों से परहेज करना होता है। साथ ही बैलेंस डाइट के साथ ओमेगा थ्री फैटी एसिड युक्तखाद्य पदार्थ जैसे बादाम, अखरोट, अलसी के बीज, राजमा और जैतून का तेल प्रयोग करें।

2 comments:

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